तोतली प्रीति क्यों गँवाई...
सुधियों के क्षितिज से, पुरवा वह आई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
मौसम का दोष नहीं,
सुधियाँ वेहोश नहीं।
योवन मदहोश हुआ,
अखियाँ निर्दोष नहीं।
सुधियों के सागर में, लहराती लहर आई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
यादों के दीप जले,
अँधियारा दीप तले।
रेतीले मीत मिले,
मेरा विश्वास गले।
आशा की मेंहदी भी, मातम ले आई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
कैसा ये प्यार किया,
हर पल बेकार जिया।
उनको एहसास नहीं,
जीवन क्यों वार दिया।
सांसों के पनघट पर, क्यों गगरी रितवाई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
बचपन का साथ छुटा,
भोला सा प्यार लुटा।
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
मौसम का दोष नहीं,
सुधियाँ वेहोश नहीं।
योवन मदहोश हुआ,
अखियाँ निर्दोष नहीं।
सुधियों के सागर में, लहराती लहर आई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
यादों के दीप जले,
अँधियारा दीप तले।
रेतीले मीत मिले,
मेरा विश्वास गले।
आशा की मेंहदी भी, मातम ले आई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
कैसा ये प्यार किया,
हर पल बेकार जिया।
उनको एहसास नहीं,
जीवन क्यों वार दिया।
सांसों के पनघट पर, क्यों गगरी रितवाई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
बचपन का साथ छुटा,
भोला सा प्यार लुटा।
यौवन दीवार बना,
आँखों में प्यार
घुटा।
यौवन में आग लगे, तोतली प्रीति क्यों गंवाई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
...आनन्द विश्वास .
यौवन में आग लगे, तोतली प्रीति क्यों गंवाई,
जन्मों की सोई हुई , हर पीर उभर आई।
...आनन्द विश्वास .
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