Saturday, June 18, 2011

मैंने जाने गीत........


मैंने जाने गीत........

मैंने  जाने  गीत  विरह  के,  मधुमासों  की   आस  नहीं  है.
कदम कदम पर मिली विवशता , सांसो में विश्वास  नहीं है.

छल से छला गया है जीवन,
आजीवन  का था समझोता.
लहरों  ने  पतवार  छीन ली,
नैय्या  जाती   खाती  ग़ोता.

किस   सागर जा करूँ याचना, अब अधरों पर प्यास नहीं है, 
मैने  जाने  गीत .....................................................

मेरे  सीमित    वातायन   में,
अनजाने  आ  किया   बसेरा.
प्रेम भाव  का दिया  जलाया,
आज बुझा, कर दिया  अँधेरा.

कितने सागर बह बह निकलें , आँखों को एहसास नहीं है.
मैंने जाने गीत ...............................................

मरुथल में बहती  दो नदियाँ ,
कब तक  प्यासा  उर सीचेंगी.
सागर  से मिलने  को  आतुर,
दर दर पर, कब तक भटकेंगी.

तूफानों से लड़-लड़  जी लूँ ,  इतनी तो अब साँस नहीं है.
मैंने जाने गीत ..............................................

विश्वासों   की   लाश   लिये   मैं,
कब  तक  सपनों  के संग  खेलूँ .
सोई - सोई    सी  , प्रतिमा   को,
सत्य समझ, कब तक मैं  बहलूँ .

मिथ्या जग में सच हों सपने, मुझको यह अहसास नही है.
मैंने जाने गीत ................................................

                                       ...... आनन्द विश्वास.


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