Thursday, July 8, 2010

उजियार होगा या नहीं.


        उजियार होगा या नहीं.

रवि  किरण  ने  कर  लिया , रिश्ता  तिमिर से,
कौन  जाने   भोर  को,  उजियार  होगा या नहीं.

हर   तरफ   छाई    निराशा,
आस  की   बस  लाश  बाकी.
साँझ तो  सिसकी अभी तक,
भोर    में    फैली     उदासी.


तम सघन में चल पड़ी जब, तम-किरण की पालकी,
अब  दीप   अपने   वंश का,  अवतार  होगा या नहीं.

अब  मुस्कराहट  फूल  की,
नीलाम होती हर  गली  में.
दिन -दहाड़े  भ्रवंर अब तो,
झांकता  है   हर  कली  में.


बागबाँ के चरण दूषित,क्या करें मासूम कलियाँ,
कौन  जाने  बाग  अब, गुलजार   होगा  या नहीं.

करता शोषण अब शाशन ही,
महलों  से   दाता  का  नाता.
भूखा   यदि  रोटी  मांगे  तो,
हथकिड़यों  का गहना  पाता.


महलों   का निर्माता, फुटपाथों  पर  सोया करता,
राम राज्य का  स्वप्न अब, साकार होगा या नहीं.

मानव  मानव  का रक्त पिये,
क्या यही मनुज का प्यार हैं.
द्रुपदाओं   के   चीर    खिचें,
क्या यही  नीति  का सार है.


सत्य  ही  बंदी  पड़ा  जब, कंस  के  दरवार  में,
कौन जाने कृष्ण का अब,अवतार होगा या नहीं.

                         ......  आनन्द  विश्वास .

No comments:

Post a Comment