Tuesday, July 6, 2010

मेरी माटी सोना.


                 मेरी माटी सोना.

मेरी    माटी   सोना,   सोने   का   है  कोई   काम  ना.
जागो     भैया,   भारतवासी   मेरी    है   ये    कामना.
दिन  तो   दिन  है  रातों  को  भी  थोडा-थोडा  जागना,
माता   के   आँचल   पर  भैया,  आने   पावे  आंच ना.

अमर   धरा  के  वीर  सपूतो   भारत  माँ की  शान तुम,
माता  के  नयनो   के   तारे   सपनो  के  अरमान  तुम.
तुम  हो  वीर  शिवा   के  वंशज, आजादी  के  गान  हो,
पौरुष   की  हो  खान,  अरे तुम, हनुमत से अनजान हो.

तुमको  है   आशीष    राम   का, रावण  पास   ना  आये,
अमर   प्रेम  हो  उर  मे  इतना,  भागे   भय  से वासना.

आज  देश  का  वैभव  रोता,  मरु  के नयनो मे पानी है,
मानवता  रोती  है दर - दर, उसकी  भी यही  कहानी है.
उठ कर गले लगा लो तुम,विश्वास  स्वयं ही  सम्हलेगा,
तुम  बदलो  भूगोल  जरा,  इतिहास  स्वयं  ही बदलेगा.

आड़ी   तिरछी   मैट    लकीरें ,  नक्शा   साफ   बनाओ,
एक   देश  हो,  एक  वेश   हो,  धरती   कभी  न बांटना.

गैरों  का   कंचन     माटी है ,   अपनी     माटी    सोना.
माटी   मिल   जाती   माटी   में,    रह   जाता  है  रोना.
माटी  की  खातिर मर मिटना, मांगों  को सूनी कर देना,
आसू  पी - पी   सीखा   हमने,  बीज     शांति   के बोना.

कौन   रहा   धरती  पर    भैया , किस   के साथ  गई है,
दो  पल  का  है रेंन  बसेरा,  फिर हम  सबको  है भागना.

हम  धरती  के   लाल,  और   यह हम  सबका आवास है
हम   सबकी  हिरयाली  धरती,  हम  सबका  आकाश  है.
क्या  हिन्दू ,  क्या  रूसी  चीनी,  क्या  इंग्लिश अफगान,
एक  खून  है  सबका   भैया,  एक    सभी   की   साँस  है.

उर  को  बना  विशाल , प्रेम   का   पावन   दीप   जलाओ,
सीमाओं   को   बना  असीमित,    अन्तःकरण   संवारना .
मेरी   माटी   सोना ...........

                                           .......आनंद विश्वास .

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